जानिए गरीब परिवार से बॉलीवुड इंडस्ट्री तक कैसे पहुंचे मनोज बाजपेयी
दूरदर्शन पर 'स्वाभिमान' धारावाहिक से अपना करियर शुरू करने वाले बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म के अनुभवी अभिनेता हैं। लॉकडाउन के दौरान आई मनोज बाजपेयी की फिल्म "1971" सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन चुका है। 1971 फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म में कैदी भारत- पाकिस्तान के युध्द के बाद पाकिस्तान के जेल में कैसे जीते हैं, कैसे वहां से भागने की कोशिश करते हैं, आदी दर्शाया गया है। फिल्म 1971 को बेस्ट फीचर फ़िल्म हिंदी के राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी नवाज़ा जा चुका है । इस फिल्म का लॉकडाउन में चर्चित होने का कारण मनोज बाजपेयी का ट्वीट है। जिसमें उन्होंने लिखा कि मेरे फ़िल्म 1971 को खोज रहे हैं, यूट्यूब पर उपलब्ध है। प्लीज़ देखिए और शेयर करिए।
उनके ट्वीट के बाद लोगों ने फ़िल्म को देखना शुरू कर कर दिया इसी वजह से फ़िल्म चर्चा का विषय बना। यूट्यूब पर इस फ़िल्म को अब तक 4 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा देखा जा चुका है। 23 अप्रैल, 1969 को जन्मे मनोज बाजपेयी, मुख्य रूप से भारतीय फिल्म अभिनेता और तेलुगु और तमिल भाषा के फ़िल्मों में अभिनेता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। उनको दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और चार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और सन 2019 में उनको कला के योगदान के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी नवाजा गया है।
मनोज बाजपाई के जीवन में परिवर्तन
मनोज बाजपेई एक गरीब किसान परिवार से थे। उनके अभिनेता बनने के सपने को लेकर उनके रिश्तेदार और पड़ोसी उनका बहुत मजाक उड़ाया करते थे परंतु बाजपेई ने भी हार नहीं मानी और उन्होंने साबित कर दिया है कि आम आदमी भी बड़े फिल्म इंडस्ट्री में जा सकता है । अपने एक इंटरव्यू में मनोज बाजपाई बताते हैं कि उनके माता-पिता ने हमेशा उनके अभिनेता बनने के सपने में उनका साथ दिया और उन्हें कभी निराश नहीं किया।
बाजपेई का जन्म और शिक्षा
मजोज की शुरुआती शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद मनोज ने दिल्ली के रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। बिहार के पश्चिम चंपारण जिला में जन्मे मनोज बाजपेई को बचपन से अभिनेता बनने की ख्वाहिश थी, इसी ख्वाहिश के चलते वह सत्रह वर्ष की उम्र में दिल्ली के 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' के लिए आवेदन करने गए लेकिन उनको चौथी बार भी असफलता मिली लेकिन उन्होंने फिर भी कॉलेज में पढ़ाई करते समय अपना थिएटर करना जारी रखा और हार नहीं मानी।
प्रेम और विवाह
मनोज बाजपेयी अपनी वाइफ के साथ बहुत कम ही देखे जाते हैं। बताया जाता है कि जब वह फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे उसी दौरान वह दिल्ली की एक लड़की को डेट कर रहे थे और फिर बाद में उसी लड़की से शादी कर ली। लेकिन मनोज बाजपेई का यह रिश्ता 2 महीने से ज्यादा नहीं टिक पाया। फिर उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा से शादी कर ली और अब दोनों की छोटी सी बच्ची है जिसका नाम अवा है।
फेमस एक्टर्स से प्रेरणा
ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह जैसी हस्तियों से प्रेरणा लेने के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के लिए आवेदन किया गया था। लेकिन भाग्य के साथ ना देने के कारण, उन्हें 4 बार रिजेक्ट कर दिया गया था और बाद मे इसी रिजेक्शन के वजह से वह डिप्रेशन में चले गए थे। मनोज वाजपेयी को अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह और रघुबीर यादव जैसे प्रसिद्ध अभिनेताओं से प्रेरणा मिलती है और वह अपने सह-अभिनेताओं से सीखने में कभी पीछे नहीं हटते।
फ़िल्मी करियर
बाजपेयी ने अपनी फीचर फ़िल्म की शुरुआत पहली बार ड्रोकावल (1994) में एक मिनट की भूमिका के साथ की और शेखर कपूर की बैंडिट रानी (1994) में एक डॉकू की एक छोटी भूमिका निभाई और उनको इसी फ़िल्म से अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। उनकी कुछ असफल भूमिकाओं के बाद, 1998 में उनको राम गोपाल वर्मा की क्राइम ड्रामा सत्या में गैंगस्टर भीकू म्हात्रे की भूमिका, ये फिल्म बाजपेयी के लिए सफल साबित हुई। उनके इस फिल्म के लिए उनको सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला।
करियर कि जोरदार पारी
प्रकाश झा निर्देशित फ़िल्म राजनीति में उनका वीरू भैया का किरदार 'महाभारत के दुर्योधन के किरदार से काफी मिलता-जुलता है', यह अभिनय लोगों के ज़हन में छा गया और यही फ़िल्मी पारी उनके एक्टिग को नई दिशा की ओर ले गयी। इसी फ़िल्म के प्रीमियर पर कैटरीना कैफ अपनी सीट से उठती हैं q और मनोज बाजपेयी के पैर छू कर बोलती है मैंने मनोज बाजपेयी जी के जैसी एक्टिग पहले कभी नहीं देखी। मनोज बाजपेयी यह मानते हैं कि उन्होंने अपना करियर फ्लॉप फिल्मों से बनाया है क्योंकि उनकी हिट फिल्मों कि अपेक्षा फ्लाप फ़िल्में ज्यादा हैं।
मनोज बाजपेयी की जीवन चुनौतियां
1.मनोज बाजपेयी एक किसान परिवार में जन्मे हैं। उनके करियर को लेकर गांव के रिश्तेदारों और आस-पड़ोस में सबने उनका बहुत मजाक उड़ाया था।
2.नएसडी मे एडमिशन ना मिलने के कारण वह डिप्रेशन में चले गए थे साथ ही उनके दोस्त उनके साथी एक महीने उनके साथ रहे उन्हें डर था मनोज बाजपेई सुसाइड न कर लें।
मनोज बाजपेयी कि प्रमुख फिल्में है -
सत्यमेव जयते, अय्यारी, जय हिंद, शूटआउट एट वडाला, स्पेशल 26, बैन्डिट क्वीन, गैंग्स ऑफ वासेपुर– भाग 1, आरक्षण, राजनीति, दस कहानियाँ, बेवफा, वीर-ज़ारा, पिंजर, एल ओ सी, कारगिल, ज़ुबेदा, अक्स, फिज़ा, शूल, सत्या आदि ।
अवार्ड और नामिनेशन
मनोज बाजपेयी जी को सन 2000 में फ़िल्मफ़ेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आलोचक - शूल के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है साथ ही बाजपेयी 1999 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आलोचक - सत्या के लिए भी नवाजे जा चुके हैं।
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