महज 15 साल की उम्र में जया ने रखा था अभिनय की दुनिया में कदम, इस मशहूर निर्देश की फिल्म में किया था काम
बॉलीवुड में 70 के दशक की टॉप अभिनेत्रियों में जया बच्चन का नाम भी शामिल था। कभी अपने चुलबुले अंदाज़ तो कभी संजीदा अभिनय से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली जया बच्चन का आज जन्मदिन है। चाहे गुड्डी में एक चुलबुली लकड़ी का किरदार हो या कोरा कागज़ और शोले जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार हो, अपने दमदार अभिनय से जया दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं। आइए जानते हैं जया बच्चन की ज़िंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से -
जया बच्चन का जन्म 9 अप्रैल 1948 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम जया भादुरी बच्चन है। जया ने भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में पढ़ाई की। बचपन से ही जया पढ़ाई में अव्वल थीं। इसके साथ ही खेलकूद में भी उनकी दिलचस्पी थी। साल 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों एनसीसी की बेस्ट कैडेट का तमगा मिला था। इतना ही नहीं उन्होंने छह साल तक 'भरतनाट्यम' का प्रशिक्षण भी लिया था। जया ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया से एक्टिंग की पढ़ाई की थी और उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था। जया ने अपना फिल्मी करियर महज 15 साल की उम्र में ही शुरू कर दिया था। उन्होंने पहले बार निर्देशक सत्यजीत रे की बंगाली फिल्म महानगर में काम किया था। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की तरफ रुख किया और कई हिट फिल्में दीं।
जया बच्चन ने 1971 में निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'गुड्डी' से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में जया ने मुख्य किरदार निभाया था। उनकी पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खूब चली और जया ने दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली। इसके बाद 1972 में जया ने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘कोशिश’ में काम किया। यह फिल्म उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए जया का नाम सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था। जया ने बावर्ची, अभिमान, चुपके-चुपके, मिली, जंजीर, अनामिका, पिया का घर जैसी कई फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से नाम कमाया। जया ने अपने फिल्मी करियर में कई शानदार फ़िल्में की हैं, जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है। जया को 'उपहार', 'अभिमान', 'कोरा कागज', 'नौकर', 'हजार चौरासी की मां', 'फिजा', 'कभी खुशी कभी गम', 'कल हो ना हो' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि अमिताभ बच्चन की फिल्म शहंशाह की पटकथा लेखक भी जया बच्चन ही थीं।
जया की पहली फिल्म के दौरान ही उनकी मुलाकात अमिताभ बच्चन से हुई। धीरे-धीरे दोनों की जान पहचान आगे बढ़ी और फिल्म 'जंजीर' की शूटिंग के दौरान दोनों एक दूसरे के करीब आ गए। दोस्ती से शुरू हुआ यह रिश्ता देखते ही देखते प्यार में बदल गया और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। अमिताभ और जया की शादी भी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। दरअसल, फिल्म जंजीर की सफलता के बाद टीम ने लंदन जाने का फैसला किया था। जब अमिताभ ने यह बात घर पर बताई तो उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने उनसे पूछा कि क्या जया भी साथ जा रही है। अमिताभ के हाँ कहने पर उनके पिता ने कहा कि अगर साथ जाना है तो शादी करके जाओ। फिर क्या था, दोनों की झट मंगनी, पट ब्याह हो गया। दोनों ने 3 जून 1973 को एक छोटे से समारोह में शादी कर ली। इसके बाद दोनों हनीमून मनाने लंदन चले गए।
जया एक बेहतरीन अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक अच्छी पत्नी, माँ, सास और नानी-दादी भी हैं। इसके साथ ही जया राजनीति के दांव-पेंच भी अच्छे से जानती हैं। जया ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत समाजवादी पार्टी से 2004 में की थी और तब से अब तक वह 4 बार राज्य सभा सांसद बन चुकी हैं। इसके साथ-साथ जया एक सोशल वर्कर भी हैं।
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