Sherni Movie Review : क्या दर्शकों तक पहुँच पाई शेरनी की दहाड़? पढ़ें पूरा रिव्यू

इस फिल्म का निर्देशन न्यूटन फेम डायरेक्टर अमित मसुरकर ने किया है और इसे टी-सीरीज और अबुदंतिया एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस किया है। दर्शकों को काफी समय से इस फिल्म का इंतजार था। विद्या अपनी हर फिल्म में लीक से हटकर कुछ नया करती हैं।

Bollywood Halchal Jun 18, 2021

विद्या बालन की मच अवेटेड फिल्म शेरनी आज अमेज़न प्राइम पर रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म का निर्देशन न्यूटन फेम डायरेक्टर अमित मसुरकर ने किया है और इसे टी-सीरीज और अबुदंतिया एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस किया है। दर्शकों को काफी समय से इस फिल्म का इंतजार था। विद्या अपनी हर फिल्म में लीक से हटकर कुछ नया करती हैं। फिल्म शेरनी में वन विभाग की एक महिला अधिकारी के रूप में वह दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल हुई हैं या नहीं, आईए जानते हैं -


फिल्म की कहानी 

फिल्म शेरनी की कहानी मध्य प्रदेश के जंगल, उसमें रहने वाली शेरनी और वन विभाग की प्रमुख विद्या विंसेंट (विद्या बालन) और उनके सहकर्मियों के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में दिखाया गया है कि मध्य प्रदेश के एक वन इलाके में शेरनी है जो आसपास के गांव के जानवरों और गांव वालों पर हमला करती है। इलाके में तैनात नई डीएफओ विद्या, शेरनी को सही सलामत पकड़ना चाहती है लेकिन उसके रास्ते में कई मुश्किलें हैं। विद्या एक ऐसे पितृसत्तात्मक क्षेत्र में काम करती है जहां काम करने वाले पुरुषों को लगता है कि वे ही सब कुछ हैं। विद्या, शेरनी को बचाना चाहती है लेकिन वन विभाग के अन्य लोग इस बात के पक्ष में नहीं है। विद्या के अफसर बंसल का मानना है कि वन विभाग के लोगों को सिर्फ शेरनी पर ध्यान देना चाहिए और गांव के लोगों पर नहीं। फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कैसे लोकल चुनाव में खड़े नेता शेरनी को मुद्दा बनाकर अपनी-अपनी राजनीति में जुटे हुए हैं। वहीँ, रंजन राज हंस उर्फ पिंटू भैया नाम का एक शिकारी भी है जो शेरनी का शिकार करने की ताक में है। क्या विद्या शेरनी को बचा पाएगी या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।


कैसी है फिल्म 

डायरेक्टर अमित मासूरकर ने इससे पहले फिल्म न्यूटन बनाई है। जहां न्यूटन में उन्होंने कमाल का निर्देशन किया था वहीं शेरनी में वह अपना कमाल नहीं दिखा पाए। फिल्म की कहानी में दम नहीं है। शुरू से अंत तक फिल्म धीमी रफ्तार के साथ आगे बढ़ती है। हालांकि फिल्म में पितृसत्तात्मक क्षेत्र में एक महिला का संघर्ष, वन विभाग की कार्य प्रणाली, भ्रष्टाचार, जानवरों के प्रति इंसानों की संवेदनहीनता और राजनेताओं का सामाजिक मुद्दों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना जैसे पहलुओं को छूने की कोशिश की गयी है। लेकिन इस सब के बावजूद फिल्म आपको निराश करती है।


फिल्म की कास्ट 

अगर बात फिल्म की कास्ट की की जाए तो फिल्म में विद्या के अलावा शरद सक्सेना, मुकुल चड्ढा, विजय राज, इला अरुण, बृजेंद्र काला और नीरज कबी ने काम किया है। फिल्म में विद्या बालन समेत सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदार के साथ न्याय किया है। खासतौर पर बृजेंद्र काला ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। फिल्म को काफी सरल रखा गया है जिसकी वजह से फिल्म थोड़ी सी फीकी भी नजर आती है। अगर आप एंटरटेनमेंट छोड़कर एक सादी और सामाजिक पहलुओं को छूती फिल्म देखना चाहते हैं तो आप यह फिल्म देख सकते हैं।




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