Sardar ka grandson review: दादी-पोते के रिश्ते पर बनी इस फिल्म में इमोशंस तो हैं लेकिन फिर भी फिल्म करती है निराश
अर्जुन कपूर और नीना गुप्ता स्टारर फिल्म 'सरदार का ग्रैंड सन' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म को काशवी नायर ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में अर्जुन कपूर और नीना गुप्ता के अलावा रकुल प्रीत सिंह, सोनी राजदान और कंवलजीत अहम भूमिका में हैं। इसके साथ ही अदिति राव हैदरी और जॉन इब्राहिम ने फिल्म में कैमियो किया है। यह फिल्म सरदार कौर और उनके पोते अमरीक की कहानी है, जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अमरीक अपनी दादी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए लाहौर को अमृतसर ले आता है।
अमरीक अमेरिका में अपनी मंगेतर राधा के साथ रहता है। अमरीक एक ऐसा इंसान है जो हमेशा बचकानी हरकतें करता रहता है और किसी भी चीज को सीरियसली नहीं लेता है। अमरीक कभी अपनी गलतियों को नहीं मानता है और इसी वजह से उसकी मंगेतर उसके साथ रिश्ता तोड़ देती है। इसी बीच अमरीक को भारत से उसके पिता का कॉल आता है जो उसे बताते हैं कि उसकी दादी को ट्यूमर हो गया है। मंगेतर के छोड़कर जाने के बाद और दादी की बीमारी की खबर सुनकर, अमरीक अपना टूटा हुआ दिल लेकर भारत वापस लौट आता है।
जब अमरीक दादी के पास अमृतसर आता है तो उसे पता चलता है कि उनके पास जीने के अब कुछ ही दिन बचे हैं। लेकिन उसकी दादी की एक आखिरी इच्छा है। सरदार कौर मरने से पहले एक बार वापस लाहौर जाना चाहती हैं। सरदार कौर कहती हैं कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में उनका घर लाहौर में ही छूट गया था। वह बताती हैं कि बंटवारे के दौरान उनके पति गुलशेर दंगों में मारे जाते हैं लेकिन वह किसी तरह बचकर भारत पहुंच जाती हैं। सरदार कौर की आखिरी ख्वाहिश है कि वे लाहौर में छूट अपना घर एक आखरी बार देख लें। दादी की बात सुनकर अमरीक फैसला करता है कि वह अपनी दादी को पाकिस्तान लेकर जाएगा। हालांकि, सरदार कौर की एक हरकत की वजह से उन्हें पाकिस्तान जाने से बैकलिस्ट कर दिया गया है। अमरीक की बहुत कोशिशों के बाद भी उनकी वीजा एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है। तभी अमरीक को एक आइडिया आता है और वह फैसला करता है कि अगर वह सरदारकौर को लाहौर नहीं ले जा सकता है तो उनके लाहौर वाले घर को दादी के पास ले आएगा। अमेरिका अपनी दादी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए कैसे उनके लाहौर वाले घर को भारत लेकर आएगा यही फिल्में देखने वाली बात है।
फिल्म में दिखाए गए इमोशंस आपके दिल तक जरूर उतरते हैं। लेकिन कहीं-कहीं फिल्म आपको बेजान और ऑफ ट्रैक जाती हुई भी लगती है। अमरीक की बचकानी हरकतें आपको हंसाने की बजाय परेशान करने लगती हैं। बतौर डायरेक्टर काशवी नायर की यह पहली फिल्म है, उस लिहाज से उनका काम ठीक था। लेकिन फिल्म में बहुत सी कमियां थी जिन पर ध्यान देकर फिल्म को और अच्छा बनाया जा सकता था। अगर बात फिल्म की कास्ट की करें तो फिल्म में कई जगहों पर अर्जुन कपूर ने अच्छी एक्टिंग की है। लेकिन कई हिस्सों में उनकी हरकतें आपको इरिटेट भी कर सकती हैं। सरदार कौर के रोल में नीना गुप्ता ने बढ़िया एक्टिंग की है। नीना एक पावरफुल एक्टर हैं, वे किसी भी रोल में जान डाल सकती हैं। जॉन और अदिति ने भी अपने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। अगर फिल्म के कुछ बिना लॉजिक वाले पार्ट्स को हटा दें तो फिल्म देखने लायक है।
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